आयुर्वेद बवासीर की बीमारी का करेगा जड़ से खात्मा !

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आयुर्वेद बवासीर की बीमारी का करेगा जड़ से खात्मा !

  • June 22, 2023

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पुराने समय से ही आयुर्वेद में विभिन्न दवाइयों का इलाज मिलता आ रहा है, इसके अलावा बीमारी किसी भी तरह की क्यों न हो उसका उपचार मिलना बहुत ही आसान है। तो वही बात करें बवासीर की बीमारी की, तो सबको पता है की ये बीमारी काफी खरतरनक है अगर एक बार व्यक्ति के अंदर उत्पन हो जाए तो काफी परेशानियां खड़ी करती है। इसके अलावा आयुर्वेद में इस बीमारी का क्या हल है इसके बारे में बात करेंगे, इसलिए अगर आप चाहते है की आपको बवासीर की समस्या से निजात मिल सके तो इसके लिए आपको आर्टिकल को अंत तक पढ़ना होगा ;

बवासीर की शुरुआत कैसे होती है ?

  • बवासीर की शुरुआत होने पर मलाशय में लगातार जलन और सूजन का खतरा होता है। इसमें मांसपेशियों में सूजन रहती है, जो कि रह-रह कर जलन पैदा करती है। यह सूजन दर्द और परेशानी का कारण बनती है और यहां तक कि उठने-बैठने के दौरान भी समस्या बन जाती है। ये आंतरिक बवासीर और बाहरी बवासीर, दोनों के दौरान हो सकता है।
  • अगर आपको पता चल गया है कि आपको बवासीर की समस्या हो गई है, तो इसके शुरुआती दौर में ही आप इसका इलाज बेस्ट आयुर्वेदिक क्लिनिक में करवा सकते है। 

बवासीर के मुख्य कारण क्या है ?

  • कब्ज के कारण पेट साफ नहीं होता है और मल त्याग में जोर लगाना पड़ता है जिसकी वजह से बवासीर (पाइल्स) की समस्या हो जाती है। जो लोग ज़्यादा देर तक खड़े होकर काम करते हैं, उन्हें भी बवासीर की समस्या हो जाती है। 
  • दूसरी और प्रेग्नेंसी के दौरान भी कई महिलाएं पाइल्स की समस्या का शिकार हो जाती है।
  • बवासीर की समस्या के और कारणों के बारे में विस्तार से जानने के लिए आप बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से सम्पर्क कर सकते है।

बवासीर के संकेत क्या है ?

  • ब्लीडिंग का होना।
  • गुदा के आसपास सूजन हो सकती है।
  • इससे दर्द और असुविधा हो सकती है।
  • गुदा में खुजली और जलन का महसूस होना आदि। 

बवासीर में कौन-सी आयुर्वेदिक दवाई है कारगर ?

  • बवासीर की वजह से गुर्दे के आस-पास खून जमने लगता है, तो खून की जमावट व सूजन को कम करता है “कांकायन वटी” की आयुर्वेदिक दवा। 
  • “त्रिफला गुग्गुल” का सेवन करने से बवासीर की वजह से जो गुर्दे में जलन और सूजन होती है उसे कम किया जा सकता है और ये इंफेक्शन को भी कम करता है।  
  • “अंजीर” (Fig) पेट से जुड़े विकारों को ख़त्म करके बवासीर के लक्षणों को जड़ से ख़त्म करता है। 
  • “मंजिष्ठा” की दवा रक्त की गंदगी को कम करता है और साथ ही ये बवासीर के अलावा, कैंसर की बीमारी को भी कम करने में सहायक माना जाता है।
  • “हरीतकी” पाचन संबंधी बीमारियों को कम करता है और बवासीर की समस्या से भी निजात दिलवाता है। 
  • जब बवासीर की वजह से गुर्दे में फोड़े हो जाते है जिसकी वजह से मलाशय को निकालने में परेशानी का सामना करना पड़ता है तब आप “सूरन” का उपयोग कर सकते है 
  • “अर्शकल्प” भी बवासीर के लिए बेहतरीन दवाई मानी जाती है। 

अगर आप भी बवासीर की समस्या से निजात पाना चाहते है तो इसके लिए आपको बिना समय गवाएं संजीवनी आयुर्वेदशाला क्लिनिक का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

बवासीर की समस्या काफी गंभीर है इसलिए इससे निजात पाने के लिए आपको उपरोक्त बातो का खास ध्यान रखना चाहिए और किसी भी तरह की दवाई का सेवन करने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह ले।

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आयुर्वेदिक दवाई या प्राकृतिक जड़ी-बूटियां कैसे दिला सकती है काली खांसी से राहत ?

  • June 16, 2023

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बीमारी छोटी हो या बढ़ी अगर वो अपनी चरम सीमा पर आ जाए तो व्यक्ति को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा ये समस्या व्यक्ति में क्यों उत्पन होती है और इस समस्या से हम कैसे निजात पा सकते है और आयुर्वेद कैसे मददगार है इस समस्या से हमे बाहर निकालने में इसके बारे में बात करेंगे इसलिए अगर आप भी इस समस्या से बाहर निकलना चाहते है तो जल्द ही आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन करें ;

काली खांसी की समस्या क्यों उत्पन होती है ?

  • काफी खांसी यानि की जिसे कुकुर खांसी के नाम से भी जाना जाता है, और यह खांसी संक्रमण की वजह से होती है। इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति में सांस से जुड़ी बीमारी बढ़ने का खतरा काफी रहता है। कुकुर खांसी किसी भी उम्र के लोगों को अपनी गिरफ्त में ले सकती है। 
  • वही यह समस्या बोर्डेटेल्ला परट्यूसिया जीवाणु की वजह से होता है, और ये समस्या व्यक्ति में तब उत्पन होती है जब व्यक्ति हंसता है, बात करता है, या फिर छींकता है। जिससे हवा में बोर्डेटेला पर्ट्रुसिस के जीवाणु फैल जाते है और हवा के रास्ते आपके फेफड़ों में जाते हैं। और आगे चल के यह आपके फेफड़ों को जकड़ लेते है जिससे बुरी तरह से संक्रमण फैल जाता है। 
  • इसलिए अगर आप भी काली खांसी की समस्या से परेशान है और इससे निजात पाना चाहते है तो आप बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर का चयन कर सकते है। तो वही इस समस्या का शिकार ज्यादातर बच्चे होते हैं। 

काली खांसी के लक्षण क्या है ?

  • इसके लक्षण में पहले तो नाक का बहना शामिल है। 
  • हल्की खांसी का आना। 
  • लाल और गीली आंखों का होना। 
  • बलगम का आना। 
  • नाक बंद हो जाना। 
  • उल्टी की समस्या। 
  • तो वही बच्चों में अक्सर खांसी नहीं आती बल्कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है।

काली खांसी से निजात दिलवाने में कौन-सी आयुर्वेदिक दवाई है मददगार ?

  • बादाम का सेवन करने से आपको काली खांसी की समस्या से आराम मिलेगा। तो वही इसका सेवन करने के लिए बादाम को घी या मक्खन में भुनकर इसे पीस लें। और सुबह-शाम भुने हुए बादाम के पाउडर का सेवन करें। 
  • ओरीगेनो भी काली खांसी से आराम दिलवाने में है मददगार। 
  • अदरक भी खांसी की समस्या से निजात दिलवाता है, बस इसके लिए आपको अदरक को पीसना है। फिर इसमें थोड़ा सा शहद मिक्स कर लें। और सुबह शाम इस मिश्रण का सेवन करें।
  • काली खांसी को दूर करता है मुलेठी, और इसको बनाने की बात करें तो इसके लिए आप 1 चम्मच मुलेठी पाउडल लें। और इसको दो कप पानी के साथ उबालें। और इसको छानकर पिए जिससे आपको आराम मिलेगा। इसके अलावा अगर आप चाहते है कि आपकी खांसी की समस्या दूर हो जाए तो इसके लिए आप बेस्ट आयुर्वेदिक क्लिनिक से भी संपर्क कर सकते है।
  • काली खांसी को दूर करने के लिए लहसुन और शहद की कलियों भी मददगार हैं।

अगर आपको भी काली खांसी की समस्या है तो बिना समय गवाए आपको संजीवनी आयुर्वेदशाला क्लिनिक का चयन कर लेना चाहिए और उपरोक्त आयुर्वेदिक दवाइयों का प्रयोग कैसे करना है इसके बारे में यहाँ के आयुर्वेदिक डॉक्टर से जरूर सलाह ले। 

निष्कर्ष :

काली खांसी अगर ज्यादा लम्बे समय से आपको परेशान कर रही है तो इसके लिए आपको बिना समय गवाए डॉक्टर का चयन कर लेना चाहिए। क्युकि ये समस्या अपने साथ और भी बीमारियों को जन्म दे सकती है।